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fir wahi zindagi – फ़िर वही ज़िन्दगी

….while cleaning my flat came across few notebooks which i preserved till now, went through them and found this poem 🙂 btw donno why i wrote this 😀 bcoz nothing mentioned below actually happened..pure imagination 😀 btw i found one more which is half completed will finish it soon !

कर के वादे कई,
वो मुकर जाते हैं।
फ़िर याद आती हैं क्यूं,
उनकी वो बातें हैं?

कहती वो क्यूं थी,
चाहती मैं हूं तुम्हे।
याद आते हैं क्यूं,
बीते वो लम्हे?

चाहता मैं हूं तुम्हे,
ना रहूं बिन तेरे।
फ़िर क्यूं तोडे तूने,
प्यारे अरमान मेरे?

ना कभी भी मैनें,
तुझको गम है दिया।
तुझको चाहा मैनें,
बस तुझी को जिया।

गर वो भूले हमें,
और वो वादे किये।
जी लेंगे बिन उनके,
जैसे अब तक जिये!

जय जिनेन्द्र !
पियूष

Talaash – तलाश

कभी किसी की तलाश में,
कभी किसी की आस में ।
हर पल तडपता रहा,
इस ज़िन्दगी उदास में ।

उसे देखता तो सोचता,
वो है बनी मेरे लिये ।
चाहे यही वो, सोचकर,
जलते रहे दिल में दिये ।

दिन गुज़रे, महीने गुज़रे,
और गुज़रे चारों साल ।
पर कह ना सका उसे देखकर,
अपने दिल का हाल ।

कुछ दुख हुआ, पर फ़िर लगा,
जो हुआ, शायद सही ।
उसे भूलकर आगे बढा,
पर हसरतें फिर भी रहीं ।

अब फ़िर किसी को ढूंढता हूं,
अब फिर किसी की है तलाश ।
कोई होगा तो कहीं,
इस दिल को है अब भी आस !

अब फ़िर किसी की तलाश में,
अब फ़िर किसी की आस में ।
अब फ़िर तडपता है ये दिल,
इस ज़िन्दगी उदास में !

जय जिनेन्द्र,
पियूष !

Rishtey – रिश्ते

कोशिश करता हूं,
कि रिश्तों को बनाकर चलूं ।
नये मज़बूत रिश्ते बनाऊं,
जब नये लोगों से मिलूं ।

रिश्ते बहुत ज़रूरी हैं,
जीवन के हर पल में ।
खुशियों को बांटने में,
दुखों को हल्का करने में ।

जब एक रिश्ता बनाता हूं,
तो सोचता हूं,
रिश्ता बनता है विश्वास पर,
सम्मान पर समर्पण पर।

आशा नहीं करता अपमान की,
स्वार्थ की मायाचारी की ।
पर जब आते हैं ऐसे क्षण,
रिश्ता लगता है बीमारी सी ।

जीवन ज्यादा तो नहीं देखा,
और ना ही ज्यादा रिश्ते ।
पर देखा है कई लोगों को,
इन रिश्तों के पाटों में पिसते ।

उन लोगों में शामिल रहा हूं,
मैं भी अक्सर, कई बार ।
कभी हुई गल्तियां मुझसे,
तो हुई गल्तियां कभी उस पार ।

कुछ रिश्ते टूट गये,
कुछ में आ गई दरार ।
पर दोनों ही स्थितियों में,
खोया कुछ दिल का करार ।

जानता हूं रिश्ते जरूरी हैं,
रिश्तों से जीवन सजता है ।
पर फिर टूट न जाएं सोचकर,
रिश्ते बनाने से डर लगता है !

पर फिर टूट न जाएं सोचकर, रिश्ते बनाने से डर लगता है !

जय जिनेन्द्र,
पियूष

सफ़लता

सफ़लता क्या है ?

क्या सफ़लता है,
बेहिसाब पैसे कमाना,
अथाह सम्पत्ती जमा करना,
ढेरों नौकर चाकर होना,
लोगों पर रुतबा होना ??

या सफ़लता है,
निश्चिंत जीवन के अनुकूल साधन होना,
लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना,
उनका सम्मान पाना,
सन्तुष्टि होना,
मानवता को कायम रखना,
और परिवार में harmony होना?

मुझे तो दूसरी ठीक लगती है ।

जय जिनेन्द्र !
पियूष !

Pyaar

प्यार क्या है ?
किसी को चाहना,
उससे हर बात share करना,
उसमें एक perfect person देखना,
उसकी हर कमी को पूरा करना,
और ना कर सकें तो नज़र-अन्दाज़ करना,
उसकी feelings को सबसे ऊपर रखना,
उसे हर परेशानी हर problem से बचाना,
उसे हमेशा अपने करीब रखना….अपने दिल के !
बस यही सब तो प्यार है ! और हां ….. ये सब कुछ उससे भी चाहना !!

.. पियूष

Pyaar kya hai ?
Kisi ko chahna,
us-se har baat share karna,
us mein ek perfect person dekhna,
uski har kami ko poori karna,
aur na kar sake to nazarandaaz karna,
us ki feelings ko sabse upar rakhna,
use har pareshaani har problem se bachana,
use hamesha apne kareeb rakhna… apne dil ke !
Bas yahi sab to pyaar hai ! aur haan…. Ye sab kuch us-se bhi chahna !!

.. Piyush